Vinod Jakhar: Biography, Age, Family, Education, Career, Struggle

विनोद जाखड़ (Vinod Jakhar) राजस्थान विश्वविद्यालय के पहले दलित छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए थे। विनोद जाखड़ वर्तमान में एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव हैं। विनोद जाखड़ ने राजस्थान विश्वविद्यालय में साल 2018 में यूनिवर्सिटी अध्यक्ष का चुनाव जीता था, इससे पहले भी विनोद जाखड़ साल 2014 में राजस्थान कॉलेज से भी छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके हैं। विनोद जाखड़ एक सामान्य से दलित परिवार से आते हैं, फिर भी विनोद जाखड़ ने यूनिवर्सिटी अध्यक्ष बनकर एक बड़ा रिकॉर्ड कायम कर दिया हैं।



विनोद जाखड़ (Vinod Jakhar) का सपना आईएएस या ऊँचे पद वाली सरकारी नौकरी पाना था, न कि राजनीति में आना, लेकिन विनोद जाखड़ ने उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज का रुख किया, तब विनोद जाखड़ को राजनीति में आने की जरूरत महसूस हुई, क्योंकि आजाद भारत के इतने सालों बाद भी दलितों के साथ हो रहे भेदभाव को देखकर विनोद जाखड़ को काफी दुःख हुआ, जिसको देखकर ही विनोद जाखड़ ने राजनीति में आने का फैंसला लिया।


आज इस लेख में हम आपको विनोद जाखड़ की जीवनी (Biography of Vinod Jakhar) बताने जा रहे हैं। विनोद जाखड़ का जन्म 7 सितंबर 1994 को राजस्थान के जयपुर जिले के विराटनगर में हुआ था। विनोद जाखड़ के गांव का नाम मेड़ जोधुला हैं, जो विराटनगर में आता हैं। विनोद जाखड़ के पिता का नाम पूर्ण मल जाखड़ हैं, जो कारीगिरी का काम करते थे। विनोद जाखड़ की माता का नाम छोटा देवी हैं। विनोद जाखड़ की जाति मेघवाल हैं, हालांकि विनोद जाखड़ के नाम से लगता हैं कि विनोद जाखड़ जाट हैं, लेकिन विनोद जाखड़ मेघवाल समाज से आते हैं, जो राजस्थान का एक बड़ा दलित समुदाय हैं।




विनोद जाखड़ (Vinod Jakhar) की बचपन की शिक्षा उनके गांव मेड़ जोधुला में ही हुई थी, उसके बाद विनोद जाखड़ का परिवार जयपुर पलायन कर गया, विनोद जाखड़ के पिता को जयपुर के एक स्कूल में कारीगरी का काम मिल गया था, उसी स्कूल में विनोद जाखड़ के पिता ने बेटे का दाखिला करवा दिया। विनोद जाखड़ के पिता चाहते थे कि मेरा बेटा बड़ा होकर एक बड़ा अफसर बने, इसके लिए वो खूब मेहनत करते थे, ताकि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकें। विनोद जाखड़ ने 12 वीं तक की पढ़ाई करने के बाद कॉलेज का रुख किया।


विनोद जाखड़ (Vinod Jakhar) ने राजस्थान कॉलेज में प्रवेश लिया, इस कॉलेज से विनोद जाखड़ ने राजनीति विज्ञान की पढ़ाई शुरू की, विनोद जाखड़ का सपना था कि वो आरएएस या आईएएस बने, क्योंकि उन्होंने यह सपना बचपन से ही देखा था, विनोद के ताऊजी आरएएस थे, उनसे ही विनोद इंस्पायर होकर बड़े अधिकारी बनना चाहते थे। 



राजस्थान कॉलेज में विनोद जाखड़ दलित समुदाय से हो रहे भेदभाव को देखकर परेशान हो गए। विनोद जाखड़ का कहना हैं कि कॉलेज में एडमिशन लेने के बाद मुझे पता लगा कि दलित छात्रों के साथ कई तरह से भेदभाव हो रहा था, यहां तक कि पढ़ाई में भी दलित छात्रों के साथ भेदभाव हो रहा था। विनोद जाखड़ ने इस भेदभाव को देखकर राजनीति में आने का फैंसला किया।


विनोद जाखड़ (Vinod Jakhar) ने दलित छात्रों के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ भी आवाज उठाना शुरू कर दिया और छात्रों की मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन में भाग लेना भी शुरू किया, इससे कॉलेज में पढ़ रहे साथी छात्रों ने विनोद जाखड़ को अपना नेता मान लिया। साथी छात्रों ने विनोद को छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया, दूसरी ओर विनोद भी जातिगत भेदभाव के खिलाफ कुछ करने की तैयारी में थे। इसलिए विनोद जाखड़ ने साल 2014 में राजस्थान कॉलेज से छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की ठान ली।




जब विनोद जाखड़ (Vinod Jakhar) ने अपने घर पर चुनाव लड़ने की बात कही तो सभी ने असहमति जता दी, क्योंकि परिवार को लगता था कि यह पैसे वालों का काम हैं। हालांकि बाद परिवार ने विनोद जाखड़ का साथ देते हुए सहमति जता दी। राजस्थान कॉलेज में तब तक कोई दलित छात्रसंघ अध्यक्ष नहीं चुना गया था, जबकि इस कॉलेज में दलित छात्रों की संख्या भी काफी थी। राजस्थान कॉलेज में जातिगत, धनबल और बाहुबल के आधार पर चुनाव होते थे, उन चुनावों में बड़े घरानों के लड़के ही चुनाव जीतकर अध्यक्ष बनते थे। विनोद जाखड़ को चुनाव लड़ने के लिए भी भेदभाव का सामना करना पड़ा।


किसी भी पार्टी ने विनोद जाखड़ (Vinod Jakhar) को अपना टिकट नहीं दिया, क्योंकि विनोद जाखड़ दलित समुदाय से थे और पार्टी नेताओं को लगता था कि एक दलित लड़का छात्रसंघ अध्यक्ष नहीं बन सकता। इसके बावजूद विनोद जाखड़ ने चुनाव लड़ने की इच्छा को नहीं मरने दिया और अंत मे विनोद जाखड़ ने निर्दलीय ही दावा ठोक दिया। विनोद जाखड़ को चुनाव के दौरान भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन आखिरकार विनोद जाखड़ यह चुनाव जीत गए और विनोद जाखड़ राजस्थान कॉलेज के प्रथम दलित छात्रसंघ अध्यक्ष बन गए।



विनोद जाखड़ (Vinod Jakhar) राजस्थान कॉलेज से तो छात्रसंघ अध्यक्ष बन गए, लेकिन विनोद जाखड़ को अभी कई और चुनोतियों का सामना करना था। विनोद जाखड़ ने राजस्थान कॉलेज छात्रसंघ अध्यक्ष रहते हुए NSUI जॉइन कर ली, अध्यक्ष रहते हुए विनोद जाखड़ ने NSUI के लिए भी काम करना शुरू कर दिया, क्योंकि उस समय राजस्थान में बीजेपी सरकार थी, जिसके कारण कॉलेज में ABVP का काफी दबदबा था और प्रदेश में BJP का। ऐसे में विनोद जाखड़ ने आगे की लड़ाई लड़ने के लिए NSUI का दामन थाम लिया था।


NSUI के साथ मिलकर विनोद जाखड़ ने छात्र हितों के लिए कई आंदोलन भी किए, जिनमें प्रमुख- फीस व्रद्धि के खिलाफ किया गया आंदोलन, 24 घण्टे लाइब्रेरी खुली रहने के लिए आंदोलन, कैम्पस में ई-रिक्शा के लिए किया गया आंदोलन। समय के साथ-साथ विनोद जाखड़ अपनी राजनीतिक गतिविधियों को बढ़ाते गए। विनोद जाखड़ ने राजनीति विज्ञान से बीए की पढ़ाई करने के बाद सोशियोलॉजी से एमए भी कर लिया। 



विनोद जाखड़ (Vinod Jakhar) ने NSUI से साल 2016 में अध्यक्ष पद के लिए टिकट की मांग की, लेकिन पार्टी ने कहा कि अभी आपको और मेहनत करने की जरूरत हैं, इसलिए विनोद जाखड़ ने अपनी मेहनत को जारी रखा। विनोद जाखड़ कॉलेज राजनीति के साथ-साथ एक वेटर का काम भी करते थे, क्योंकि विनोद जाखड़ के परिवार की आर्थिक हालत सही नहीं थी। इसके बाद विनोद जाखड़ ने साल 2016 और 2017 में छात्र हितों के लिए काफी संघर्ष किया, कई बार विनोद जाखड़ ने पुलिस की लाठियां भी खाई और जेल भी जाना पड़ा।


इसके बाद विनोद जाखड़ (Vinod Jakhar) ने साल 2018 में हो रहे राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनाव लड़ने की ठानी। राजस्थान यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव लड़ना राजस्थान कॉलेज में चुनाव जीतने से कई ज्यादा कठिन था, क्योंकि इस यूनिवर्सिटी में सिर्फ ऊंची जाति वाले छात्र नेताओं का ही कब्जा था, यहां तक कि इस यूनिवर्सिटी के चुनावों में राजस्थान सरकार का भी काफी अहम रोल रहता हैं। प्रदेश के प्रमुख यूनिवर्सिटी के चुनावों पर अहम नजर बनाए हुए रहते हैं।



यूनिवर्सिटी में भी कभी कोई दलित यूनिवर्सिटी अध्यक्ष नहीं बना था, जबकि यूनिवर्सिटी में लगभग 8000 से ज्यादा छात्र दलित समुदाय के पढ़ते हैं, लेकिन यूनिवर्सिटी में धनबल और बाहुबल ही चलता हैं। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि विनोद जाखड़ ने लगातार 4 साल NSUI में काम किया, लेकिन फिर भी NSUI ने विनोद जाखड़ को टिकट नहीं दिया। NSUI को विश्वास ही नहीं था कि यूनिवर्सिटी में भी कोई दलित लड़का अध्यक्ष बन सकता हैं क्या? NSUI ने विनोद जाखड़ को महासचिव की टिकट ऑफर की, जिसको विनोद जाखड़ ने अस्वीकार कर दी।


इस बार भी विनोद जाखड़ (Vinod Jakhar) पीछे नहीं हटे और पिछली बार की तरह इस बार भी विनोद जाखड़ ने निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया। विनोद जाखड़ को इन चुनावों में जातिगत भेदभाव का काफी सामना करना पड़ा। भेदभाव करने वाले कहते थे कि यूनिवर्सिटी में दलित अध्यक्ष कैसे बन सकता हैं और एक दलित लड़का कैसे हम पर राज कर सकता हैं। यहां तक कि यूनिवर्सिटी के कई प्रोफेसर भी यह नहीं चाहते थे कि यूनिवर्सिटी में कोई दलित अध्यक्ष बने। विनोद जाखड़ के नाम को लेकर भी चुनावों में जातिगत भेदभाव किया गया।




पहले छात्रों को लगता था कि विनोद जाखड़ (Vinod Jakhar) जाट हैं, क्योंकि विनोद का सरनेम जाटों के एक गौत्र जैसा ही हैं। विरोधी छात्र नेताओं को लगता था कि कहीं विनोद जाखड़ को जाट समुदाय के वोट नहीं मिल जाए, इसके लिए विरोधी छात्र नेताओं ने विनोद जाखड़ के जाति प्रमाण पत्र के कई पोस्टर यूनिवर्सिटी में चिपका दिए, लेकिन फिर भी विनोद जाखड़ ने हार नहीं मानी और चुनाव से पीछे नहीं हटे।


राजस्थान यूनिवर्सिटी में चुनावों में पानी की तरह पैसा बहाया जाता हैं। बिना पैसों के यूनिवर्सिटी में चुनाव लड़ना किसी भी हालत में मुमकिन नहीं हैं, लेकिन विनोद जाखड़ के सबसे बड़ी समस्या पैसों की ही थी। विनोद जाखड़ ने चुनाव के लिए यूनिवर्सिटी में चंदा इकट्ठा करना शुरू किया और यूनिवर्सिटी के छात्रों ने विनोद जाखड़ को काफी पैसे चंदे के रुपये में दिए, ताकि विनोद जाखड़ यह चुनाव लड़ सके। विनोद जाखड़ ने इस चुनाव में धनबल को भी एक बड़ा मुद्दा बनाया।




विनोद जाखड़ (Vinod Jakhar) ने इन चुनावों में ABVP और NSUI को दिन में तारे दिखा दिये और यूनिवर्सिटी अध्यक्ष पर कब्जा कर लिया। विनोद जाखड़ को मिले कुल वोटों की संख्या ABVP और NSUI दोनों को मिलें वोटों की संख्या से ज्यादा थी। विनोद जाखड़ यूनिवर्सिटी के पहले दलित छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए। विनोद जाखड़ ने राजस्थान की उस यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव जीता जिस यूनिवर्सिटी में जाट, राजपूत और ब्राह्मण जैसी बड़ी जातियों का कब्जा रहता हैं।


जब विनोद जाखड़ (Vinod Jakhar) को इन चुनावों में जाति से ऊँपर उठकर वोट दिए, क्योंकि विनोद जाखड़ के काम से काफी छात्र इंस्पायर भी थे। विनोद जाखड़ की सादगी भी कुछ इस तरह थी कि छात्रों ने बिना जाति देखें विनोद जाखड़ को वोट दिए और NSUI-ABVP को इन चुनावों में बुरी तरह हरा दिया। विनोद जाखड़ ने राजस्थान विश्विद्यालय में पनपी इस मिथ्या को तोड़ दिया कि राजस्थान विश्वविद्यालय में कोई दलित अध्यक्ष नहीं बन सकता हैं।




चुनाव जीतने के बाद विनोद जाखड़ (Vinod Jakhar) को राजस्थान के वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (उस समय मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे थी) ने फोन पर बधाई भी दी और लंच पर भी बुलाया और सचिन पायलट ने भी विनोद जाखड़ से मुलाकात की। विनोद जाखड़ को राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस जॉइन करवाई, फिर से विनोद जाखड़ ने NSUI का दामन थाम लिया। राजस्थान यूनिवर्सिटी अध्यक्ष रहते हुए भी विनोद जाखड़ ने छात्र की समस्याओं को लेकर काफी संघर्ष किया।




विनोद जाखड़ (Vinod Jakhar) को सक्रियता को देखते हुए NSUI ने विनोद जाखड़ को NSUI का राष्ट्रीय सचिव भी नियुक्त किया हैं, वर्तमान में विनोद जाखड़ इसी पद पर हैं। इसके अलावा विनोद जाखड़ दिल्ली के NSUI प्रभारी भी हैं। विनोद जाखड़ अभी कांग्रेस और NSUI में काम कर रहे हैं। विनोद जाखड़ का अगला लक्ष्य राजस्थान में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव है। 



Biography of Vinod Jakhar


Personal Details
NameVinod Jakhar
Nick NameNot Known
Date of Birth7 September 1994
Age27
ReligionHindu
CastMeghwal (SC)
Education DegreeBA, MA
School NameN/A
College NameRajasthan University
ProfessionPolitician
Present PostNational Secretary, NSUI
Political PartyCongress, NSUI
Birth PlaceJhodhula, Viratnagar
AddressJaipur, Rajasthan.
Marital StatusUnmarried
Physical Appearance
GenderMale
HeightN/A
WeightN/A.
Hair ColourBlack
Eye ColourBlack
Family Details
FatherPuran Mal Jakhar
MotherChota Devi
SisterN/A
BrotherN/A
SpouseN/A
ChildrenN/A
Girlfriend/BoyfriendN/A
Personal Intrest
HobbyN/A
Favorite ActorN/A
Favorite ActressN/A
Favorite SingerN/A
Favorite CricketerN/A
Favorite ColourN/A
Favorite CarN/A
Favorite BikeN/A
Financial Details
BussinessN/A
IncomeN/A
Net WorthN/A
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BikeN/A
OtherN/A
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